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कलेक्टर की पहल पर संतों ने की अपील, अब अनन्त चतुर्दशी को ही होगा विसर्जन

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विलोक पाठक

न्यूज़🔍इंवेस्टिगेशन / संस्कारधानी में गणेश विसर्जन को लेकर शुरू से ही विसंगति रही है अनंत चतुर्दशी के दिन से शुरू होकर विसर्जन कई दिनों तक चलता रहता है । जिसको लेकर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने पहल करते हुए संतो के सामने अपनी राय रखी की भगवान गणेश का विसर्जन आनंद चतुर्दशी के दिन ही होना चाहिए क्योंकि पितृपक्ष में विसर्जन मान्य नहीं है । जिस पर शहर के संत महात्माओं ने एक बैठक कर एक मत होकर इस बात पर सहमति जताई एवं लोगों से आग्रह किया है की गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही करें पितृपक्ष में ना करें । उल्लेखनीय है कि जबलपुर में बड़े पैमाने पर गणेश उत्सव मनाया जाता है एवं घरों से लेकर सार्वजनिक पंडालों तक भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित रहती हैं । लेकिन जब विसर्जन की बारी आती है तो लोग अनंत चतुर्दशी से लेकर कई दिनों बाद तक विसर्जन करते रहते हैं एवं शहर में जुलूस की शक्ल में जश्न मनाते हैं । इससे न केवल शहर की यातायात व्यवस्था ठप्प होती है, बल्कि प्रशासन को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है इन सब बातों को देखते हुए जिला कलेक्टर ने शहर के संतों को एक बैठक में आमंत्रित कर उनसे इस बात पर एक राय होकर अभिमत मांगा जो कि संतों ने सहर्ष स्वीकार किया ।

◆ ये पूज्य संत रहे उपस्थित

शहर के संतों में स्वामी अखिलेश्वरानन्द, स्वामी चैतन्यानंद महाराज,स्वामी नरसिंहदास महाराज,पंडित वासुदेव शास्त्री स्वामी अशोकानंद,स्वामी राजारामाचार्यजी, मुन्ना पांडे,सहित सर्वधर्म समन्वयक शरद काबरा ने सहभागिता दी।

◆ कड़वी सच्चाई जो स्वीकारना होगी

उल्लेखनीय है कि शहर में दर्जनों संत हैं, कई मठ हैं, माँ बगलामुखी के साधक ब्रम्हचारी स्वामी चैतन्यानंद जी महाराज, सेवा और संतत्व की मूर्ति साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, जैसे कुछेक सन्तजन को यदि छोड़ दिया जाए  तो बाकी किसी ने भी आज तक धार्मिक विसंगतियों के खिलाफ कभी कोई बयान जारी नहीं किया। शहर में धार्मिकता के नाम पर फैली फूहड़ता और भोंडापन, इसी कड़ी में देखा जाए तो हिन्दू भगवानो पर बने बेढंगे गाने , जुलूसों में डीजे पर बज रहे अश्लील गानों के अलावा और भी अपमानित बातों के बारे में शहर के संतों ने कभी कोई बयान जारी नहीं किया। राजनैतिक और सियासी मंचों पर दिखने वाले सन्तजन आखिर सनातन परंपरा के लिये कब समर्पित होंगे। सनातन की मजबूती के लिए सन्तो को सियासत और धर्म मे से किसी एक को चुनना होगा।

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