प्रवासी मजदूरों को SC ने दी बड़ी राहत, 15 दिनों के भीतर बिना यात्रा शुल्क लिए घर पहुंचाने का आदेश
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम करे। इसके लिए कोर्ट ने 15 दिनों का समय दिया है। कोर्ट ने सख्त ताकीद की है कि प्रवासी मजदूरों से कोई यात्रा शुल्क न ली जाय।
कोर्ट ने इस दलील को माना कि लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को बेरोजगार होना पड़ा। जिसके चलते ही उन्हें मजबूरी में अपने राज्यों की तरफ पलायन करना पड़ रहा है। इंतजाम नहीं होने के कारण ही इन्हें मीलों पैदल चलने की त्रासदी झेलनी पड़ी। कोर्ट के ताजा आदेश के बाद राज्य सरकारों को वैसे मजदूरों के आवेदन पर तत्काल कार्रवाई करनी होगी। जिन्हें लॉकडाउन से उपजी स्थितियों के कारण घर जाना है। हालांकि मजदूरों को घर जाने के लिए विभिन्न सरकारों ने कई सहूलियतें दी है। कुछेक राज्यों को छोड़ दिया जाय तो विभिन्न राज्यों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेने चलाई गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
बता दें कि प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। कोर्ट के आदेश के मुताबिक मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा और फिर उन्हें 15 दिनों के भीतर घर के लिए रवाना कर दिया जाना है। 24 घंटे के भीतर कोर्ट ने रेलवे को और ट्रेनें उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। बड़ी राहत ये कि घर लौटने वाले मजदूरों के लिए रोजगार सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने राज्य सरकारों को कहा है। प्रवासी मजदूरों के मामले पर पहली सुनवाई 5 जून को हुई थी। अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के हित में फैसला दिया है।
कोर्ट के आदेश से राजनीति पर विराम
सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से जहां मजदूरों को राहत मिलेगी, वहीं राज्य और केंद्र के बीच की राजनीति पर भी विराम लगेगा। पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्य बड़े पैमाने पर मजदूरों को वापस अपने राज्य में बुलाने के पक्ष में नहीं हैं। रेलवे मंत्रालय बार बार शिकायत कर रहा है कि उन्हें खास राज्यों में अधिक ट्रेने चलाने की इजाजत नहीं मिल रही है। ताजा आदेश के तहत राज्यों को बेरोक टोक आवाजाही की इजाजत देनी ही होगी।