मानसिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है भगवान शिव का यह पावन व्रत
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। शनि प्रदोष व्रत को प्रदोष व्रतों में महत्वपूर्ण माना जाता है। जो प्रदोष व्रत शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष या शनि त्रयोदशी कहा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं। इसीलिए प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। शनि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव का आशीष एवं शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। जिन पर शनि की साढ़ेसाती चल रही हो उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत के दिन शनिदेव और भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति में आ रही बाधाओं को दूर करता है। प्रदोष व्रत से चंद्र दोष दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से शरीर रोगमुक्त होता है और ऊर्जा का अनुभव होता है। शनि प्रदोष व्रत में शाम को हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। शनि प्रदोष व्रत में व्रती को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। सूर्यास्त के समय श्वेत वस्त्र धारण कर भगवान शिव और शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करना चाहिए। शनि स्तोत्र और शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।