देश के 11 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में चल रहे एक अंतरराज्यीय ड्रग गिरोह का पर्दाफाश
चंडीगढ़ । देशभर में फार्मास्यूटीकल ओपिओड की स्पलाई सम्बन्धी बड़ी कार्यवाही करते हुए पंजाब पुलिस ने हवाला चैनल रूट के प्रयोग द्वारा 11 राज्यों में 50 से अधिक जिलों में चल रहे एक अंतर-राज्यीय ड्रग कारटेल का पर्दाफाश किया है। आठ हफ्तों से अधिक समय तक चलाई गई इस मुहिम में 20 व्यक्तियों को पहले ही नशे की बड़ी खेप, ड्रग मनी और पाँच वाहनों के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है।
पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि ‘आगरा गैंग’ के तौर पर जाना जाता यह ड्रग कारटेल भारी मात्रा में नशीले पदार्थों को देशभर में फैले ड्रग निर्माता, सप्लायर, थोक विक्रेता और परचून कैमिस्ट से लेकर भारत भर के बाजारों में भेज रहा था। अब तक गिरफ्तार किये गए 20 लोगों में से 16 पंजाब, 2 यू.पी. और एक एक हरियाणा और दिल्ली से सम्बन्धित हैं।
इस गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी से नशा सिंडिकेट का एक बड़ा नैटवर्क जो 10-12 करोड़ की नशीली दवाएँ, गोलियाँ /कैप्सूल / टीके / सिरप के रूप में हर माह पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भेज रहा था, का पर्दाफाश हुआ है जिससे देश के हजारों नौजवानों की जिंदगी तबाह होने से बच गई।
इस गिरोह का बरनाला पुलिस टीम ने पर्दाफाश किया है जिसमें एसएसपी बरनाला सन्दीप गोयल की निगरानी अधीन काम कर रहे डॉ. प्रज्ञा जैन, एएसपी महल कलाँ, सुखदेव सिंह विर्क एसपी (डी), रमनिन्दर सिंह दयोल डीएसपी (डी), इंस्पेक्टर बलजीत सिंह इंचार्ज सीआईए शामिल थे। गिरोह के प्रमुख सहित 20 व्यक्तियों की गिरफ्तारी पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के अलग-अलग स्थानों से की गई।
गुप्ता ने बताया कि उनके पास से 27,62,137 नशीली गोलियाँ, कैप्सूल, टीके और सिरप की बोतलें बरामद की गई थीं और इसके अलावा 70,03,800 रुपए ड्रग मनी बरामद की गई। दिलचस्प बात यह है कि बरनाला पुलिस ने मार्च, 2020 में इसी तरह मथुरा गैंग का पर्दाफाश किया गया था और 44 लाख के नशीले पदार्थ और 1.5 करोड़ रुपए ड्रग मनी ज़ब्त की थी।
इसी मई महीने बलविन्दर सिंह उर्फ निक्का पुत्र गुरजंट सिंह और चार अन्यों की 2,85,000 नशीली गोलियों (टैब कलोवीडोल) समेत गिरफ़्तारी के साथ इस मुकदमे से पर्दा उठना शुरू हुआ था, जिसके विरुद्ध एफआईआर नं. 72 तारीख़ 23.05.2020 को धारा 21,22,25,29 /61 /85 एनडीपीएस एक्ट पुलिस थाना महल कलां में दर्ज है। इसके बाद जुल्फिकार अली पुत्र मुहंमदिन को 12,000 नशीली गोलियों के साथ (टैब कलोवीडोल) गिरफ़्तार किया गया। जुल्फिकार से पूछताछ के बाद हरीश की भूमिका का खुलासा हुआ जो पंजाब में फार्मास्यूटीकल ओपीओडज़ की आमद और सप्लाई में मास्टरमाईंडों में से एक है।
इन गिरफ़्तारियों के बाद, बरनाला पुलिस ने जांच, निगरानी योजनाएँ तैयार करने में दो महीने बीताए और फिर एक जाल बिछाया गया, जिसके बाद एक विशेष टीम पश्चिमी बंगाल भेजी दी जहाँ से हरीश को पकड़ा गया। हरीश ने इस गिरोह की साजिशें घडऩे के तरीके और पंजाब समेत देश के 11 से अधिक राज्यों में सायकोट्रोपिक ड्रग्गज़ की सप्लाई चेन संबंधी खुलासा किया।
इस सम्बन्धी मुकदमा एफआईआर नं. 344 तारीख़ 13.07.2020 धारा 22,25,29 /61 /85 के अंतर्गत एनडीपीएस एक्ट पुलिस थाना सिटी बरनाला में दर्ज किया गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब में छापेमारी की गई, जिससे बड़ी संख्या में फार्मास्यूटीकल नशीले पदार्थ, ड्रग मनी और वाहन ज़ब्त किये गए।
डीजीपी ने कहा कि अब तक गिरोह के काम करने के ढंग -तरीके सम्बन्धी अब तक की गई जांच से पता लगा है कि हरीश डाक्टरी प्रतिनिधि के तौर पर इन्टरनेट और सोशल मीडिया के द्वारा पता और फ़ोन नंबर जैसी जानकारी का प्रयोग करके कैमिस्टों और फार्मासिस्टों के साथ संपर्क करता था।
इन तस्करों ने पहले से ही दिल्ली, आगरा, अमृतसर, जयपुर, ग्वालियर और भोपाल जैसे प्रमुख शहरों में चल रहे कोरियर /ट्रांसपोर्ट /माल ढुलाई जैसे नैटवर्क का प्रयोग किया और नकली बिलों की मदद से स्थानीय ट्रांसपोर्टरों का प्रयोग करते हुए कई राज्यों के विभिन्न स्थानों पर खेपें भेजी। हवाला चैनलों का प्रयोग करके पैसो की अदायगी और लेन-देन किया गया और इस उद्देश्य के लिए नकद लेन-देन के लिए विशेष बनाऐ गए बैंक खाते इस्तेमाल किये गए।
ज़ब्त किये गए नशीले पदार्थ ज़्यादातर फार्मास्यूटीकल ओपीओड हैं। इनमें से बहुत से फार्मास्यूटीकल उत्पादों की न सिफऱ् जायज़ और महत्वपूर्ण डाक्टरी प्रयोग होती है बल्कि यह उत्पाद रजिस्टर्ड मैडीकल प्रैकटीशनर की उचित मैडीकल सलाह से बिना नहीं बेचे जा सकते। गिरोह इन नशों का गलत ढंग से प्रयोग कर रहा था, जो कोई डाक्टरी तौर पर दर्द से राहत और ओपीओड की निर्भरता के इलाज के लिए अतिरिक्त मैडीकल प्रयोग के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, इन दवाओं का ज़रूरत से अधिक प्रयोग करने से यह मौत का कारण भी बन सकता है।
डीजीपी ने कहा कि पंजाब पुलिस द्वारा चलाई गई मुहिम और फार्मास्यूटीकल ओपीओडज़ की बड़ी बरामदगी बहुत महत्वपूर्ण है और इससे पंजाब में नशों की सप्लाई को बड़ी मार पड़ी है। भारत सरकार, नयी दिल्ली, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से किये गए अध्ययन ‘मैगनीट्यूड आफ सब्स्टैनस यूज इन इंडिया -2019 ’ के अनुसार फार्मास्यूटीकल ओपीओड (जिसमें स्वयं ओपीओड समूह की कई किस्मों की दवाएँ भी शामिल हैं), हेरोइन के बाद भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले ओपीओड (0.96प्रतिशत) हैं, जोकि भारत में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किये जाएँ वाला ओपीओड (1.14 प्रतिशत) है। यह अंदाज़ा लगाया गया है कि फार्मास्यूटीकल ओपीओड का हानिकारक प्रयोग राज्य में ड्रग समस्या का तकरीबन 40प्रतिशत बनता है।