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बड़े फेरबदल के बाद कितनी मजबूत होगी कांग्रेस ?

नयी दिल्ली : कांग्रेस में बड़ा फेरबदल हुआ है. कांग्रेस खुद को मजबूत करने के लिए बड़े बदलाव की तरफ बढ़ रही है लेकिन सवाल है, क्या कांग्रेस इस फेरबदल से मजबूत होगी ? इससे पहले की इस बदलाव से होने वाले परिवर्तन का जिक्र हो यह समझने की कोशिश करते हैं कांग्रेस कितनी मजबूत रही है…

साल 1998 से लेकर अबतक कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार का दबदबा रहा है. इस नेतृत्व क्षमता की वजह से केंद्र में यूपीए की सरकार भी बनी लेकिन ताजा स्थिति क्या है. ? 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार मिली तो कांग्रेस के अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कह दिया कि पार्टी का अगल अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा लेकिन फिर जिम्मेदारी मिली सोनिया गांधी को उन्हें पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया.

प्रियंका गांधी कितनी मजबूत हुई

कांग्रेस वर्किंग कमेटी को पुनर्गठित किया गया है. महासचिव और राज्यों के प्रभारियों की भी नियुक्ति की गयी है. एक विशेष कमेटी का निर्माण किया गया है जिसमें पार्टी के छह नेता शामिल किये गये हैं. पार्टी में सोनिया और राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी भी है. आपको याद होगा कि सोनिया के बीमार रहने के बाद कांग्रेस के कार्यकताओं ने ही प्रियंका गाधी के पक्ष में पोस्टरबाजी की थी. कई कांग्रेस नेताओं का यह भी मानना है कि प्रियंका के आने से पार्टी मजबूत होगी. प्रियंका गांधी वाड्रा के प्रभारी होने से कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में उत्तर प्रदेश का कद तेजी से बढ़ा है.

पार्टी में इस बदलाव पर क्या है प्रतिक्रिया

कांग्रेस में कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठनात्मक सुधार की मांग की गयी थी इस बदलाव को उससे भी जोड़कर देखा जा रहा है. चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने जो मांग की थी वह कितना पूरा हुआ क्या नयी टीम कांग्रेस को मजबूत कर पायेगी इन इसवालों के जवाब तो समय के साथ मिलते चलें जायेंगे लेकिन सूत्रों की मानें तो चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की मांग पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. राहुल गांधी के साथ खड़ा रहने वाले नेताओं का कद बढ़ा है.

अब समझिये क्या – क्या बदला

रणदीप सुरजेवाला राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं . चिट्ठी कांड के बाद ट्विटर पर कपिल सिब्बल द्वारा लिखे गये पोस्ट पर भी पार्टी का पक्ष लेने के लिएए सुरजेवाला मैदान में थे. इन्हें मीडिया प्रभारी महासचिव के साथ कर्नाटक का प्रभारी भी बना दिया गया है. इतना ही नहीं इन्हें पार्टी नेताओं की बनायी गयी विशेष टीम जिसमें सिर्फ छह नेता शामिल है इसमें भी जगह मिली है तारिक अनवर (केरल) और जितेंद्र सिंह (असम) को भी महासचिव बनाया गया है.

बुजुर्ग और बड़े नेताओं को जिम्मेदारी से मुक्त किया गया

गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, लुइजिन्हों फलेरियो सहित कई बड़े और वरिष्ठ नेताओं को महासचिव के पद से मुक्त कर दिया गया है. चिट्ठी लिखने वाले गुट में गुलाम नबी आजाद चेहरा बनकर सामने आये थे . इन सभी नेताओं को पद से मुक्त करने के पीछे उम्र को वजह बताया गया है. हालांकि गुलाम नबी आजाद को वर्किंग कमेटी के सदस्य के तौर पर रखा गया.

इनके साथ आनंद शर्मा, राहुल गांधी, मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, एके एंटनी, अम्बिका सोनी, मल्लिकार्जुन और पी चिदंबरम को भी सीडब्ल्यूसी सदस्य बनाया गया है.दिग्विजय सिंह और प्रमोद तिवारी का जिन्हें कांग्रेस वर्किंग कमिटी में स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. इसके अलावा जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, अधीर रंजन चौधरी, अविनाश पांडे को भी सीडब्ल्यूसी का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है

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