देश

SC का फैसला-पिता की संपत्ति में है बराबर का हक, बेटियां तो हमेशा बेटियां रहती हैं, बेटे तो बस

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेटियों के हक में एक अहम फैसला सुनाया है जिसके तहत अब कोर्ट ने बेटियों को भी पिता या पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदारा माना है. जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के फैसले में इस फैसले के लिए साफ कहा गया है कि ये उत्तराधिकार कानून 2005 में संशोधन की व्याख्या है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर अपनी अहम टिप्पणी में कहा, बेटियां तो हमेशा बेटियां रहती हैं. बेटे तो बस विवाह तक ही बेटे रहते हैं. यानी 2005 में संशोधन किए जाने से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटे या बेटों के बराबर ही हिस्सा मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले के जरिए यह साफ कर दिया है कि 5 सितंबर 2005 को संसद ने अविभाजित हिंदू परिवार के उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया था. इस संशोधन के ज़रिए बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार माना था. ऐसे में नौ सितंबर 2005 को ये संशोधन लागू होने से पहले भी अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो और संपत्ति का बंटवारा बाद में हो रहा हो तब भी हिस्सेदारी बेटियों को देनी होगी.

बता दें कि साल 1985 में जब एनटी रामाराव आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उस समय उन्होंने पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर की हिस्सेदारी का कानून पास किया था. इसके ठीक 20 साल बाद संसद ने 2005 में  पूरे देश भर के लिए पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर बेटों के बराबर हिस्सेदार मानने का कानून पास किया. ये मामला बहन भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे का था.

सुप्रीम कोर्ट में बहन की गुहार थी जिसमें भाइयों ने अपनी बहन को यह कहते हुए संपत्ति की बराबर की हिस्सेदारी देने से मना कर दिया कि पिताजी की मृत्यु 2005 में 9 सितंबर से पहले हुई थी. लिहाजा यह संशोधन इस मामले में लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के जरिए साफ कर दिया है 9 सितंबर 2005 से पहले अगर किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तो भी बेटियों को संपत्ति में बेटों के बराबर हिस्सेदारी मिलेगी.

जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने यह फैसला देते हुए यह साफ कर दिया है बेटियों को आइंदा भी बेटों के बराबर संपत्ति में हिस्सेदारी मिलेगी. यानी इससे नारी शक्ति को मजबूत करने का एक और रास्ता साफ होगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
Close
Close