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माफी या सजा? अवमानना के दोषी प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला, जानें मामले की सभी खास बातें

Prashant Bhushan Contempt Cases: वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। न्यायपालिका के खिलाफ अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ आज यानी 31 अगस्त को सजा सुनाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। माफी मांगने से पहले ही इनकार कर चुके प्रशांत भूषण को कोर्ट ने 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि अपने रुख पर फिर विचार कर लें। लेकिन इसके बाद भी भूषण का विचार नहीं बदला तो कोर्ट ने यहां तक पूछा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है?

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ भूषण के खिलाफ अपना फैसला सुनाएगी। अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत सजा के तौर पर भूषण को छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती हैं। प्रशांत भूषण के पास अपने ट्वीट को लेकर कोर्ट के सामने माफी मांगने का अवसर था लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया।

 

प्रशांत भूषण द्वारा न्यायालय की तरफ से माफी मांगने के सुझाव को खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कोर्ट की ओर से ‘स्टेट्समैन’ जैसा संदेश दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं। तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले और कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए।

 

अटॉर्नी जनरल ने माफ करने की अपील की थी
वहीं, अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह भूषण को इस संदेश के साथ माफ कर दे कि उन्हें भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने ट्वीटों को लेकर माफी न मांगने के रुख पर पुनर्विचार के लिए भूषण को 30 मिनट का समय भी दिया था।

कोर्ट में भूषण ने किया था गांधी के कथन जिक्र
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें इस बात से पीड़ा हुई है कि उन्हें इस मामले में ‘बहुत गलत समझा गया’। उन्होंने कहा ‘मैंने ट्वीट के जरिए अपने परम कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास किया है।’ महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा था, ‘मैं दया की भीख नहीं मांगता हूं और न ही मैं आपसे उदारता की अपील करता हूं। मैं यहां किसी भी सजा को शिरोधार्य करने के लिए आया हूं, जो मुझे उस बात के लिए दी जाएगी जिसे कोर्ट ने अपराध माना है, जबकि वह मेरी नजर में  गलती नहीं, बल्कि नागरिकों के प्रति मेरा सर्वोच्च कर्तव्य है।’

कब के ट्वीट का है मामला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर पर न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराया था।  प्रशांत भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी।

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