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एसआई ने कहा की पहले सीएम हेल्पलाइन कटवाओ उसके बाद लिख कर देंगे मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए

भाई को खोने के बाद दर-दर भटक रहे दलित परिजन

गरीबों की मदद को लेकर सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है ताकि उनको मदद के साथ न्याय भी मिल सके परंतु सरकार के इन प्रयासों को सिस्टम कैसे पलीता लगा रहा है यह बानगी इस घटना को देखने पर समझ में आती है |

कटनी के रेवा नशा मुक्ति केंद्र में मजदूर भाई के साथ हुई कथित मारपीट के आरोप बाद उसकी मौत को लेकर उसके मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए गरीब परिजनों को मशक्कत करना पड़ रही है । विगत 14 फरवरी को कटनी के एक नशा मुक्ति केंद्र में गोटेगांव तहसील के सिमरिया गांव निवासी दलित भूपेंद्र नोरेजिया की मौत के बाद उसके गरीब परिजन आज तक मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटक रहे हैं । उक्त घटना पर कार्यवाही ना होने पर परिजनों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी | उल्लेखनीय है कि घटना के बाद प्रभावशाली लोगों ने मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया था परंतु मीडिया के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया एवं विभिन्न धाराओं के तहत आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया । उक्त घटनाक्रम के बाद मृतक के परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र लेने कटनी नगर निगम गए तो उन्हें कई बार भटकाया गया । बेहद गरीब परिस्थिति मैं जीवन जीने वाले परिजन गोटेगांव से कटनी कई बार भटके परंतु उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला । घटना के बाद उचित कारवाई न होने को लेकर  उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी थी । जिसके बाद पुलिस उन पर सीएम हेल्पलाइन को वापस लेने के लिए दबाव डालने लगी । वहीँ पुलिस थाने में पदस्थ एसआई केके पटेल का स्पष्ट कहना है कि अपनी सीएम हेल्पलाइन कटवाओ उसके बाद तुमको मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये लिखकर दिया जाएगा ।  गरीब परिजनों से किसी दलाल ने रुपए भी ले लिए । अपना परिजन खोने के बाद उसकी मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए गोटेगांव से कटनी तक का सफर उन गरीब लोगों को कितना कष्ट दाई है शायद यह गरीबों के नाम पर AC और लग्जरी भवनों में बैठकर योजना बनाने वाले नेता व नौकरशाह न समझें ।

घटना के संबंध में बताया जाता है कि विगत 14 फरवरी को गोटेगांव तहसील के अंतर्गत सिमरिया गांव निवासी भूपेंद्र नोरेजिया की मृत्यु की खबर उसके परिजनों को रात्रि 10:30 दी गई परिजनों का आरोप है कि नशा मुक्ति केंद्र में उनके भाई को मारा पीटा गया है जिसके फल स्वरुप उसकी मृत्यु हुई है परिजनों की बात इस से भी पुष्ट  होती है की नशा मुक्ति केंद्र के सूत्रों के मुताबिक शाम को 6:३0 बजे मौत हुई परंतु परिजनों को सूचना रात्रि 10:30 बजे यह कहकर दी गयी की मृतक दोपहर से सोने के बाद नहीं उठा । मामला यही नहीं खत्म होता है बल्कि रात्रि 3:00 बजे डस्टर गाड़ी में नशा मुक्ति केंद्र के संचालक  भूपेंद्र का शव लेकर सिमरिया गांव पहुंचे जहां परिजनों ने शव के ऊपर चोट के निशान देखे तो संबंधित थाने को सूचित किया । जिसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम कराकर मामला कटनी भेज दिया । सवाल यह उठता है कि नशा मुक्ति केंद्र के सूत्रों के अनुसार जब मृत्यु शाम 6:३0 बजे हृदय गति रुकने का कारण बताई गयी  तो फिर मृतक के शरीर पर चोट के निशान कैसे दिख रहे । एवं मृत्यु होने पर पुलिस को सूचित क्यों नहीं किया नशा मुक्ति केंद्र के सूत्रों का कहना है कि भूपेंद्र को अस्पताल ले गए थे जहां डॉक्टर ने मृत घोषित किया । जब डॉक्टर ने शरीर पर चोट के निशान देखे होंगे तो उसके बाद पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी । यदि पुलिस को सूचना दी होती तो शव को एंबुलेंस में लाते । परंतु निजी वाहन डस्टर में शव लेकर पहुंचना अपने आप में संदेहास्पद है। वही नशा मुक्ति केंद्र के संचालकों का परिजनों से बार-बार बयान बदलना संदेह के घेरे में है |

बहरहाल जो भी हो परन्तु अपना परिजन खोने के बाद गरीबों का भटकना वाकई सिस्टम की सड़ांध की पुष्टि करता है कागजी तौर पर चलाई जा रही योजनाओं का धरातली सत्य शायद यही है |

 

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