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पांचजन्य एवं ऑर्गेनाइजर के पाठक केवल पाठक नहीं राष्ट्रवादी विचारधारा के सेनापति हैं ◆ प्रांत प्रचारक श्री ब्रजकांत

विलोक पाठक 

जबलपुर समन्वय सेवा केंद्र में राष्ट्रीय पत्रिका पांचजन्य एवं ऑर्गेनाइजर के पाठकों का सम्मेलन आयोजित किया गया । इसमें बड़ी संख्या में पाठकों ने भाग लिया एवं अपने अनुभव साझा किये । प्रांत सह प्रचार प्रमुख शिवनारायण पटेल के अनुसार ऐसा पहला मौका है जब किसी राष्ट्रीय पत्रिका का पाठक सम्मेलन आयोजित किया गया एवं पाठकों से उनके अनुभव एवं विचार जानने का प्रयास किया गया । बड़ी संख्या में पहुंचे पाठक गणों ने अपने विचार व्यक्त किये । इनमें डॉक्टर डीपी गुर्जर, प्रोफेसर अशोक खंडेलवाल, श्रीमती अंजू भार्गव एवं श्री अनंत डीके ने अपने अनुभव एवं विचारों को पाठकों से साझा किया । कार्यक्रम में प्रान्त संघ चालक श्री प्रदीप दुबे, श्री शिवराम समदड़िया, श्री प्रेम कुमार की मौजूदगी रही । इस अवसर पर सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में प्रांत प्रचारक ब्रजकांत जी ने अपने उदबोधन मैं पांचजन्य के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि इस पत्रिका की शुरुआत दीनदयाल जी ने की थी एवं पहले संपादक अटल बिहारी वाजपेई रहे । इस पत्रिका में अब तक कुल 17 संपादक हो चुके हैं । इस पत्रिका में शक्ति निपुणता और अभ्यास की प्रमुखता रही है । पाञ्चजन्य जो कि भगवान श्री कृष्ण का शंख था में पांच कोन थे, जब उसको बजाया जाता था तो सिंहनाद होता था । इसी प्रकार पांचजन्य के जो लेख होते हैं वह भी किसी सिंहनाद से कम नहीं होते हैं । 1948 को मकर संक्रांति के दिन पाञ्चजन्य का पहला अंक प्रकाशित हुआ था । पांचजन्य में पांच आयाम है जो कि राष्ट्र, समाज , संस्कृति, इतिहास, और लोक शास्त्र के रूप में जाने जाते हैं । पांचजन्य के लेख हर राष्ट्रवादी के अंदर सिरहन पैदा करते हैं । बृजकांत जी ने बताया कि यह केवल पत्रिका नहीं दर्शन है । यह राष्ट्र की आशा का प्रतिबिंब है । उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि संसद में सबसे ज्यादा उल्लेखनीय पत्रिका यदि कोई रही है तो वह पांचजन्य है । इस युग में सही विचारों के लिए यह पुस्तक आवश्यक है । पाठकों से कहते हुए उन्होंने कहा कि आप केवल पाञ्चजन्य के पाठक ही नहीं राष्ट्रवादी विचारधारा के सेनापति हैं । पांचजन्य का उद्देश्य ही लोकमत का परिष्कार है । इसका मूल उद्देश्य राष्ट्र सर्वोपरि है । समाज के कल्याण में ही सबका कल्याण है , ऐसी विचारधारा ही पाञ्चजन्य की रही है । मुख्य वक्ता ब्रजकांत जी ने पाठकों से अनुरोध किया है कि वह केवल पांच लोगों को जोड़कर इस राष्ट्र यज्ञ में अपनी आहुति अवश्य डालें । इस अवसर पर प्रांत के प्रचार प्रमुख विनोद कुमार के अलावा विनय सोलंकी सहित बड़ी संख्या में पाठक गण मौजूद रहे ।

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