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नर्सिंग फर्जीवाड़ा मामले में याचिकाकर्ता ने दी मान्यता के नए नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती

In the nursing fraud case, the petitioner challenged the new rules of recognition in the High Court.

♦ VILOK PATHAK

न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन / The NI / 51/ मध्यप्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग फर्जीवाड़े की जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की युगल पीठ ने सुनवाई की याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता दीपक तिवारी ने हाईकोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम, 2024 बनाए गए हैं जिसमें नए कॉलेज खोलने अथवा पुराने कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण हेतु अब जहाँ पुराने नियमों में 20 हज़ार से 23 हज़ार वर्ग फिट अकादमिक भवन की अनिवार्यता होती थी, उनके स्थान पर नए नियमों में मात्र 8000 वर्ग फिट बिल्डिंग में ही नर्सिंग कॉलेज खोले जा सकेंगे|
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पिछले दो वर्षों में हाईकोर्ट के आदेश पर हुई सीबीआई जांच और उसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अनसूटेबल पाये गये हैं जिसमें सरकारी कॉलेज भी शामिल है सरकार ने इन्हीं नर्सिंग कॉलेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियमों में शिथिलता दी है क्योंकि नर्सिंग से संबंधित मानक एवं मापदंड तय करने वाली अपेक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23,200 वर्गफ़ीट के अकादमी भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है उसके बावजूद आईएनसी के मानको के विपरीत जाकर सरकार ने नए नियम अपात्र कॉलेजों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाए हैं| राज्य शासन एवं नर्सिंग काउंसिल की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता भरतसिंह, अभिजीत अवस्थी ने तर्क दिये कि नये नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को है इसलिए इन्हें ग़लत नहीं कहा जा सकता है और याचिकाकर्ता के आरोपों पर जवाब देने के लिए हाईकोर्ट से समय की मांग की लेकिन हाईकोर्ट ने नये नियमों में की गई शिथिलता के संबंध में आश्चर्य व्यक्त करते हुए महाधिवक्ता की अंडरटेकिंग रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली तिथि तक जबाब पेश करने को कहा, इस मामले में महाधिवक्ता ने अंडरटेकिग दी है कि यदि अगली सुनवाई के पहले सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू की गई तब भी नये नियमों को लागू नहीं किया जाएगा अर्थात् अधोसंरचना संबंधी मापदंड पूर्ववत ही रहेंगे और सरकार अगली सुनवाई तक नए नियमों के संबंध में अपना जबाब पेश करेगी।

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