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हाईकोर्ट जस्टिस अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड पर तंज कसते हुए कहा – नोटिफिकेशन निकाल कर ताजमहल भी लेलो, लाल किला भी लेलो,कौन मना कर रहा है

◆ विलोक पाठक

न्यूज़ इन्वेस्टीगेशन / मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित  हाईकोर्ट में लंबे समय से चल रहे वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार के प्रॉपर्टी पर टिप्पणी देते हुए संपत्ति को केंद्र सरकार की झोली में डाल दिया है। वक्फ ने देश की धरोहर घोषित तीन एतिहासिक वास्तुओं पर अपना दावा ठोका था। इन संपत्तियों में जिनकी मालिकी का कोई प्रमाण वक्फ बोर्ड पेश नहीं कर पाया। आखिर में वक्फ बोर्ड महज़ नोटिफिकेशन के चलते इसे वक्फ के हवाले करने की मांग की गई। जिस पर न्यायमूर्ती अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड के वकील को कड़ी बातें सुना दीं।
फैसले के दौरान जबलपुर कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरुपाल सिंह अहलूवालिया ने वक्फ के अधिकारों के दुरूपयोग बेतुके दलील से तंग आकर तंज कसते हुए कहा,’वक्फ को महज़ नोटिफिकेशन निकालकर ताजमहल और लाल किले को भी अपनी संपत्ति घोषित करो कौन मना कर रहा है।’
न्यायमूर्ति ने कहा,’मेरा सीधा सा सवाल है, कल को अगर आप किसी सरकारी दफ्तर को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित करने पर आपकी हो जाएगी? क्या केवल पॉपर्टी डिक्लेर करने से किसी को बाहर कर दिया जाएगा या उसके लिए कोई
प्रोसीजर है? जबकी यह प्रोटेक्टेड मॉन्युमेंट है…, फिर तो नोटिफिकेशन निकाल कर ताजमहल भी लेलो, लाल किला भी लेलो,कौन मना कर रहा है? क्या आप को प्रेम से पूछे प्रश्न समझ नहीं आ रहे ?मुझे बताइये क्या आप किसी की भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर सकते है? क्या केवल अधिसूचना से इसे आपकी संपत्ति घोषित किया जाएगा? यह संपत्ति 90 के दशक में ही ऐतिहासिक धरोहर घोषित हो चुकी है। बिना किसी मालिकाना हक़ के बिना कुछ देखे इसपर अधिसूचना जारी कर दी, बताइये इसके मालिक कौन थे? अधिसूचना जारी करने से संपत्ति आपकी कैसे हुई ? फिर आप क्यों छोटी छोटी अधिसूचना जारी कर रहें है, इकठ्ठा कर दो झंझट ख़तम।”

जिसके बाद न्यायाधीश जीएस अहलूवालिया ने बुराहनपुर में स्थित शाहजहां की बहु बीबीसाहिब और नादिरशाह के मकबरों को वक्फ संपत्ति मानने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने इस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के हक़ में फैसला सुनते हुए अगर इसे एतिहासिक वास्तु घोषित किया गया है तो वक्फ संपत्ति घोषित करना बेईमानी कहा है। कोर्ट ने जिले के तीनों संपत्तियों को केंद्र के हवाले करने का फैसला भी सुनाया है। कहा जा रहा है की, इस फैसले से
प्राचीन इमारतों पर केंद्र सरकार का अधिकार होगा वक्फ इन पर अपना हक़ नहीं बता पाएगा, ऐसे मामलों में जबलपूर उच्च न्यायालयके फैसले ने मिसाल कायम की है।

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