मैं पेशेवर लेखक नहीं, लेकिन भावनाओं को समझता हूं : मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को 70 वर्ष के हो गए और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस अवसर पर उनके द्वारा करीब तीन दशक पहले लिखे गए पत्रों के संग्रह को जारी करने की घोषणा की है। श्री मोदी ने ‘लेटर्स टू मदर’ (जगत जननी) को संबोधित पत्रों के इस संग्रह मेंअपने लक्ष्यों और चिंताओं के बारे में विस्तार से लिखा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं को पुस्तक में व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘ मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं हूं, लेकिन मैं जिन भावनाओं और चीजों को समझता हूं उन्हें लिखता हूं।’’
प्रधानमंत्री ने इस पुस्तक में लिखा है, ‘‘ मैं कोई लेखक नहीं हूं, हममें से अधिकतर लोग भी लेखक नहीं होते हैं और जब अपने मन के भीतर की भावनाओं और विचारों को प्रकट करने का मन करता है तो कागज और कलम उठाकर लिखने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह जाता है। हम लिखते ही नहीं हैं बल्कि अपने दिल और दिमाग के भीतर चल रही चीजों का आत्मनिरीक्षण भी करते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है।’’
श्री मोदी जब भारतीय जनता पार्टी के केवल एक कार्यकर्ता थे तब सात दिसंबर 1986 को उन्होंने ‘जगत जननी’ नाम को संबोधित करते हुए अपने लक्ष्यों और चिंताओं के संबंध में यह पा लिखे थे।
वर्ष 2014 में पहली बार इन पत्रों का प्रकाशन गुजराती भाषा में ‘साक्षी भाव’ संग्रह नाम से किया गया था। फिल्म आलोचक और लेखक भावना सोमाया ने इन पाों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया जिसे हार्पर कॉलिन्स ने पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है।
श्री मोदी जब भारतीय जनता पार्टी के केवल एक कार्यकर्ता थे तब सात दिसंबर 1986 को उन्होंने ‘जगत जननी’ नाम को संबोधित करते हुए अपने लक्ष्यों और चिंताओं के संबंध में यह पा लिखे थे।
वर्ष 2014 में पहली बार इन पत्रों का प्रकाशन गुजराती भाषा में ‘साक्षी भाव’ संग्रह नाम से किया गया था। फिल्म आलोचक और लेखक भावना सोमाया ने इन पत्रों का अनुवाद अंग्रेजी भाषा में किया जिसे हार्पर कॉलिन्स ने प्रकाशित किया।