ऐसे हुई थी शारदीय नवरात्रि की शुरूआत, जानें पौराणिक कथा
शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा जी की उपासना का पर्व है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि हर साल यह पावन पर्व श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा अधिक मास के कारण संभव नहीं हो पाया। इस साल नवरात्रि पर्व 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे है जो 25 अक्टूबर तक चलेगे।
शारदीय नवरात्रि का महत्व–
आचार्य पंडित नरेन्द्र जी ने बताया कि धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार शारदीय नवरात्रि माता दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है, नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है।
इसलिए मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि-
शास्त्रों में नवरात्रि का त्योहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई मनुष्य मार ना पाए। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। उसके आतंक से परेशान होकर देवी देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है.!
भगवान श्रीराम जी ने की थी नवदुर्गा की उपासना–
एक-दूसरी कथा के अनुसार, भगवान श्री राम जी ने लंका पर आक्रमण करने से पहले और रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी मां भगवती की आराधना की थी। रामेश्वरम में उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा की उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
पूरे साल में कुल मिलाकर 4 बार नवरात्रि का पर्व आता है–
चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। व्रत रखने का अधिक महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रि का होता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में व्रत करने मां का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
नवरात्रि में होती है मां दुर्गाजी के नौ रूपों की पूजा-
पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें और अंतिम दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन विधिनुसार घटस्थापना का विधान है।
पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
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