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हो जाएँ सावधान क्यूंकि इन ग्रहों  की बदलती चाल, आपके जीवन को कर सकती है बर्बाद

पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री 9993652408

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में सभी नौ ग्रह होते हैं इनकी बदलती स्थिति और स्थान का व्यक्ति के जीवन के हर पहलू पर असर होता है। प्रत्येक ग्रह अपने स्थान और स्थिति के अनुसार फल प्रदान करता है ज्योतिषी  पंडित नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष में कुछ ग्रहों को शुभ तो कुछ का पापक ग्रह माना गया है। शुभ ग्रहो की स्थिति सही न होने पर वे भी हमें कष्ट पहुंचाते हैं लेकिन पापक ग्रहों की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति को बहुत ज्यादा कष्टों का सामना करना पड़ता है। राहु-केतु और शनि ये ऐसे ग्रह हैं जिनके शुभ होने पर भी इनके बारे में सुनकर ही व्यक्ति घबरा जाता है और जब यह ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति को कभी-कभी मृत्यु तुल्य कष्टों का सामना भी करना पड़ जाता है।

शनिदेव न्याय के देवता हैं –

शनि देव हमें कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। ये हमें सही रास्ते पर चलने के लिए बाध्य करते हैं। गलत कार्यों को करने वाला व्यक्ति शनि के दंड का भागी बनता है। लेकिन राहु एक ऐसा ग्रह है जिसके गलत स्थान में होने से व्यक्ति बुरे कर्म करता है और स्वयं ही यह ग्रह आपको दंडित भी करवाता है। राहु और केतु दोनों को ज्योतिष में छाया ग्रह माना गया है। केतु की स्थिति खराब होने पर भी व्यक्ति को कई कष्टों का सामना करना पड़ता है |

कुंडली में राहु की खराब स्थिति के कारण ही व्यक्ति बुरे कर्मों में संलिप्त हो जाता है,  व्यक्ति में लालच, कपट स्वार्थ जैसे अवगुण आ जाते हैं। जब राहु गलत स्थान में होता है, तो जातक की संगति खराब हो जाती है वह बुरे व्यक्तियों की संगति में पड़ जाता है। नशा, जुआ आदि बुरे व्यसन करने लगता है,  राहु एक ऐसा ग्रह है |

ज्योतिष में राहु ग्रह को छाया ग्रह कहा गया है

राहु और केतु का प्रभाव एक समान ही माना जाता है लेकिन राहु के प्रभाव का परिणाम निश्चित होता है तो वहीं केतु के कारण भ्रम की स्थिति पैदा होती है। केतु के प्रभाव के कारण व्यक्ति को कोर्ट कचहरी को चक्करों में फंसना पड़ता है। व्यक्ति को यह पता होता है कि वह कुछ गलत कर रहा है लेकिन राहु के बुरे प्रभाव के कारण वह फिर भी बुरे कर्म करता जाता है। जिसके कारण उसे दंड का भागी बनना पड़ता है,  और व्यक्ति को अपनी सत्ता तक गवांनी पड़ जाती है | राहु की खराब दशा प्रेम संबंधों और राजनीति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

शुक्र ग्रह को भौतिकता और प्रेम का कारक माना गया है –

शुक्र ग्रह के कारण ही प्रेम संबंध बनते हैं लेकिन जब राहु पंचम या सप्तम भाव में राहु बैठा हो या फिर राहु की दृष्टि हो तो व्यक्ति गलत प्रेम संबंधों में फंस जाता है। राहु के प्रभाव के कारण ही व्यक्ति  झूठ, प्रपंच करके रिश्ते बनाता है जिसका परिणाम अंत में बहुत बुरा होता है। प्रेमी-प्रेमिका का समाज की नजरों से बचकर एक-दूसरे से मिलना राहु के प्रभाव के कारण होता है राहु सत्य को छिपाने का कार्य करता है जिसके कारण व्यक्ति झूठ और गलत कार्यों में फंसा रहता है। तो वहीं केतु संबंधों में दरार का कारण बनता है.!

राहु केतु का प्रभाव ओर राजनीतिक क्षेत्र –

राजनीति में जाने वाले लोगों के कुछ विशेष ग्रह प्रबल होते हैं जिसके कारण वे राजनीति में मुकाम हासिल करते हैं। राहु को राजनीति का ग्रह माना गया है। राहु के दशम भाव में होने पर व्यक्ति धूर्त राजनेता बनता है। वह अपने वर्चस्व को कायम करने के लिए सही गलत का ध्यान नहीं करता है, लेकिन विवादों में फंसा होने पर भी राजनीति में अपनी सत्ता कायम रखने में सफल रहता है। लेकिन वहीं बुरे कर्म करने पर शनि दंडित करता है |

 

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