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इंदौर के सबसे चर्चित संजय ठाकरे हत्याकांड में सभी 09 अभियुक्त बरी …

जबलपुर /इंदौर.अपर सत्र न्यायाधीश श्री विवेक सक्सेना इंदौर ने प्रदेश के अपने समय के सबसे चर्चित संजय ठाकरे हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त किशोर पटेल सहित अन्य सभी 08 अभियुक्तों को 42 पृष्ठों के अपने निर्णय में दोषमुक्त कर बरी कर दिया है।इस 09 वर्ष तक चली लंबी ट्रायल में मुख्य अभियुक्त किशोर पटेल व कमल की ओर से जबलपुर के युवा अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों से प्रभावी जिरह की थी।
01 अप्रैल 2011 को इंदौर के लसूड़िया थाने के अंतर्गत रात्रि 10:47 से 11:00 के मध्य तुलसी नगर कॉलोनी रहवासी संघ के अध्यक्ष तथा व्यवसायी संजय ठाकरे की उनकी कार में तीन गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।एफ .आई .आर में मल्टी स्टोरीज और रो हाउस बनाने वाले बड़े राजनीतिक रूप से प्रभावशाली बिल्डरों के ऊपर संदेह व्यक्त करते हुए नामजद रिपोर्ट की गई थी।पुलिस अन्वेषण में अन्य अभियुक्तों के साथ षड़यंत्र कर ग्राम पंचायत निपानिया के सरपंच पति किशोर पटेल, कमलेश और फरार अभियुक्त बलविंदर सिंह पर संजय ठाकरे की कार को रोककर तीन पिस्तौलों से तीन गोलियां दाग कर उसकी हत्या करने का आरोप लगाया गया था।
मुख्य अभियुक्त किशोर पटेल पर हत्या का उद्देश्य प्रतिरूपित करते हुए आरोप लगाया गया कि उसने अपनी सरपंच पत्नी के द्वारा इंदौर के महालक्ष्मी और तुलसी नगर क्षेत्र में बहुमंजिली मल्टीज और रो हाउसेज के निर्माण हेतु नक्शे पास का निर्माण की स्वीकृति दिलाई थी।मृतक संजय ठाकरे ने प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष किशोर पटेल और बिल्डरों के विरुद्ध प्रकरण दायर कर स्थगन करवा दिया था जिससे उन सभी को करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ था और इसी शत्रुता के कारण किशोर पटेल ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर संजय ठाकरे की हत्या गोली मारकर की थी।
मुख्य अभियुक्त किशोर पटेल व कमल की ओर से न्यायालय के समक्ष शारीरिक उपस्थिति के माध्यम से जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी ,आशीष त्रिवेदी व असीम त्रिवेदी ने इंदौर में न्यायालय के समक्ष अनवरत सात घंटे तक अंतिम तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस गंभीर प्रकरण में अभियोजन परिस्थितिजन्य साक्ष्य की किसी भी कड़ी को जोड़ने में पूरी तरह असफल रहा है।धारा 27 के मेमोरेंडम के अनुसार पिस्तौलों, मोबाइलों व अन्य वस्तुओं की जप्ती ,फॉरेंसिक लेबोरेटरी की रिपोर्ट, बैलेस्टिक रिपोर्ट आदि सभी पूरी तरह से संदिग्ध है।

बहुप्रतीक्षित निर्णय

सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश इंदौर श्री विवेक सक्सेना ने 42 पृष्ठों के अपने बहुप्रतीक्षित निर्णय में अभियुक्तों के अधिवक्ताओं के तर्कों और न्याय दृष्टांन्तों को स्वीकार करते हुए प्रतिपादित किया है कि विवाद के मुख्य कारण के संबंध में अभियुक्त अभियोजन पक्ष एक भी दस्तावेज प्रदर्शित करने में असमर्थ रहा है।अभियुक्त किशोर पटेल के विरुद्ध खाती समाज की धर्मशाला अवैध रूप से बनवाने का भी आरोप है पर अभियोजन उक्त धर्मशाला से किशोर पटेल का कोई संबंध स्थापित नहीं कर सका है।जबकि बचाव पक्ष ने यह सिद्ध किया है कि मध्य प्रदेश भूमि विकास निगम, 1984 व अन्य कानूनों में सरपंच को मल्टियों और रो हाउस की स्वीकृति देने या नक्शा पास करने का कोई अधिकार ही नहीं है। हथियारों और अन्य वस्तुओं की जप्ती भी संदिग्ध है।

20 जगहों पर गवाहों का एक ही जोड़ा

न्यायालय ने अपने निर्णय में प्रतिपादित किया है कि दिनांक 5.4.2011 से 17.4.2011 तक अभियोजन पक्ष को मेमोरेंडमों से लेकर गिरफ्तारियों और विभिन्न जप्तियों तक अभियोजन साक्षी 17 धनराज पाटील और अभियोजन साक्षी 21 प्रदीप ठाकरे, जो क्रमशः मृतक के बहनोई और भाई हैं अलग-अलग तारीखों ,अलग-अलग समयों और अलग-अलग स्थानों पर पुलिस को गवाहों का यही एक जोड़ा हर वक्त मिला और कहीं भी 20 जगहों में से एक में भी उसने स्वतंत्र साक्षियों को लाने का प्रयास नहीं किया। एफएसएल को जांच के लिए पिस्तौलें ,गोलियां आदि सामग्रियां 3 माह के विलंब के साथ भेजी गई इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है कि तब तक यह कहां थीं। पिस्तौलों को भेजी गई सामग्री पर एम वाई हॉस्पिटल की सील भी नहीं थी ,केवल पुलिस थाने की सील थी।किशोर पटेल न्यायालय ने अभियुक्त किशोर पटेल व कमलेश को धारा 302/ 149 ,147 ,148 120 बी दंड विधान और धारा 25(1) ए और 27 आर्म्स एक्ट से व शेष अभियुक्तों को धारा 147 ,148 ,302 ,149 व 120 बी भारतीय दंड विधान के अपराधों से बरी कर दिया है।

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