गुजरात – राज्य पर न्यायालय ने याचिका दायर करने में देरी करने पर लगाया 25 हजार रुपये का जुर्माना
नई दिल्ली,- गुजरात हाईकोर्ट ने अदालत का समय बर्बाद करने के लिए गुजरात राज्य पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।आपको बता दें कि न्यायालय ने याचिका दायर करने में एक वर्ष से ज्यादा का विलंब करने पर राज्य सरकार की ‘‘निष्क्रियता और अक्षमता’’ को लेकर नाराजगी जताई। राज्य सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2019 में पारित एक आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका 427 दिनों की देरी से दायर की थी।
पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों को ठंडे बस्ते में डालने की मंशा से न्यायालय में विलंब से अपील दायर की जाती है ताकि वह खारिज हो जाये और इसी आधार पर मामले को खत्म कर दिया जाये। न्यायालय ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य महज औपचारिकता पूरी करना और अपने उन अधिकारियों को बचाना है जो निर्धारित प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सके और हो सकता है कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया हो।’’
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपील दायर करने में ‘‘ढुलमुल रवैया’’ अपनाये जाने पर राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया और उसकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी पीठ का हिस्सा थे।