जॉब & एजुकेशनमध्यप्रदेशसिटी न्यूज़
विश्व हृदय दिवस पर नशामुक्ति एवं मनोचिकित्सक डॉ सारंग पण्डित ने दी जानकारी
प्राची अनामिका मिश्रा
जबलपुर/ मनोचिकित्सक डॉ सारंग पण्डित (नशामुक्ति एक्सपर्ट) ने न्यूज इन्वेस्टिगेशन से आज विश्व ह्रदय दिवस खास चर्चा करते हुए बताये कि
तंबाकू का सेवन युवाओं के ह्रदय का सबसे बड़ा दुश्मन है। लगभग 40 फीसद युवाओं में हार्ट अटैक का कारण तंबाकू सेवन बताया जा रहा है। निश्चित रूप से यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। यदि युवा नहीं संभले और धूम्रपान के प्रति जागरूक नहीं हुए तो आने वाले दिनों में परिणाम और भी घातक होगें जिससे कम उम्र के युवाओं में भी इस तरह केस बढेगें, आज के समय में युवाओं में बढ़ती नशे बढ़ती ही जा रही है | आजकल युवाओं में नशे की लत काफी बढ़ रही है। जिसके मुख्य कारण बढ़ता तनाव, दूषित खान-पान, अकेलापन, बेरोजगारी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा है। युवाओं में शराब पीने की लत तो बढ़ ही रही है साथ ही शराब पीकर बेहोश होने का नया चलन भी शुरू हो गया है। इनसब से बचने के लिए युवाओं को ज्यादा से ज्यादा समय तक खुद को अपने काम और किशोरों को पढ़ाई में व्यस्त रखने की जरूरत है । साथ ही नियमित योगा और प्राणायाम भी कारगर साबित होगा जिससे तनाव कम होकर खत्म होगा।
जिस पर डॉ नशामुक्ति एवं मनोचिकित्सक डॉ सारंग पण्डित ने बताया कि धूम्र पान और एल्कोहल के नशे सस्ते उपलब्ध और आसानी से मिलने की वजह से इन नशे का प्रचलन तेजी से है और आज की युवा पीढ़ी भी हृदय रोग जैसे गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। जिनसे बचने के लिए लगातार नियमित योगा और प्राणायाम करके भी मन को शांत किया जा सकता है साथ ही हृदय भी स्वस्थ्य रहेगा।
जबकि हर क्षेत्रों में भी गली-गली शराब की दुकाने व सिगरेट, पान मसाला, गुटाखा आदि सहजता और सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। ग्रामीण स्तर पर महुए के साथ अन्य रसायन के मिश्रण से तैयार होने वाली देशी शराब सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो जाने से इसके लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ता है।
शहर से लेकर ग्रामीण युवा नशे की चपेट में
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों और स्कूली छात्राओं, महिलाओं के बीच भी गुटखा, पान मसाला, धूम्रपान की लत बढ़ने लगी है। बेरोजगारी के आलम में मानसिक थकान के शिकार लोग भी नशे की लत में लिप्त होने लगे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के दर्जनों युवक धूम्रपान और बड़े नशे की लत के कारण विभिन्न रोगों का शिकार होकर अकाल कलवित हो चुके हैं। दूसरी ओर नशा मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान व सामाजिक संगठनों द्वारा इस प्रवृत्ति की रोक थाम की दिशा में किए जा रहे प्रयास भी अब तक नाकाफी साबित हुए हैं। इस दिशा में नशाबंदी और नशा विमुक्ति को लेकर व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाए जाने की और भी आवश्यकता है।
नशे से बढ़ते हैं अपराध
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति खतरनाक ढंग से बढ़ी है। विभिन्न रूपों रूपों में नशे के आदि हो चुके युवक उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा पहुंचते हैं। इससे सामाजिक, पारिवारिक समस्याओं के साथ-साथ छिनतई, चोरी, छेड़छाड़, व्यभिचार की समस्याएं सामने आती हैं।
ये समस्याओं का होता है जन्म
धूम्रपान को नशे के रूप में एवं एल्कोहल के अत्यधिक सेवन से लीवर स्यानुतंत्र, दृष्टिहीनता की समस्या उत्पन्न हो सकती है। दूसरी ओर गुटखा, पान मसाला, कफ सीरफ, सुलेशन के सेवन से मुंह व फेफड़े का कैंसर जानलेवा साबित हो रहा है जिससे लगातार मौतें भी हो रही हैं।