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नई शिक्षा नीति में छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका मिलेगा : शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल

नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में छात्रों को दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मिलेगा मौका। हायर एजुकेशन में भी कई स्तरीय बदलाव होंगे। इसके अलावा बोर्ड परीक्षाओं की भी संरचना बदलेगी। और तो और इस क्रांतिकारी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक कक्षाओं का स्वरूप भी बदल जाएगा। इसे समग्रता प्रदान किया जाएगा। साथ ही साथ सालों से एक ही ढर्रे पर चल रही इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा में भी कई अहम बदलाव होंगे। ये सब बातें केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आईएएनएस के साथ विशेष साक्षात्कार में कहीं।

प्रस्तुत है केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पूरा साक्षात्कार :

प्रश्न : 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का स्वरूप क्या पहले जैसा होगा अथवा इन में कोई बदलाव होंगे?

उत्तर : नई नीति में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा। इन परीक्षाओं के माध्यम से कोचिंग और रटने के बजाय मुख्य रूप से क्षमताओं एवं योग्यताओं का आकलन किया जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं के उच्चतर जोखिम पहलू को समाप्त करने के लिए सभी छात्रों को किसी भी स्कूल वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा देनी की अनुमति दी जाएगी। एक मुख्य परीक्षा और यदि आवश्यक हो तो एक सुधार के लिए अनुमति मिलेगी।

प्रश्न: नई शिक्षा नीति का प्रभाव मेडिकल इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण कार्यक्रमों पर कैसा रहेगा?

उत्तर : मेडिकल एजुकेशन को पुनर्कल्पित किए जाने की आवश्यकता है। हमारे लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलतावादी विकल्पों का प्रयोग करते हैं। हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली को एकीकृत होना चाहिए। जिसका अर्थ है कि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की बुनियादी समझ होनी चाहिए। ऐसा ही अन्य सभी प्रकार की चिकित्सा से संबंधित विद्यार्थियों के विषय में लागू होगा। वहीं इंजीनियरिंग भी बहु-विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जुड़ने के अवसरों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रीत किया जाएगा।

प्रश्न : नई शिक्षा नीति प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए क्या नया ले कर आई है?

उत्तर : नई शिक्षा नीति में प्रारम्भिक स्तर से ही छात्रों को लचीली, बहुआयामी, बहुस्तरीय, खेल आधारित, गतिविधि आधारित और खोज आधारित शिक्षा व्यवस्था से लाभान्वित किया जाएगा। इस नीति का समग्र उद्देश्य बच्चों का शारीरिक भौतिक विकास, संज्ञात्मक विकास, समाज संवेगात्मक नैतिक विकास, सांस्कृतिक विकास, संवाद के लिए प्रारम्भिक भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के विकास में अधिकतम परिणामों को प्राप्त करना है।

प्रश्न : नई शिक्षा नीति से स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने की प्रक्रिया में क्या मूल बदलाव होंगे?

उत्तर : नई शिक्षा नीति में स्कूल पाठ्यक्रम के बोझ में कमी, बढ़े हुए लचीलेपन, रटकर सीखने के बजाय रचनात्मक तरीके से सीखने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही स्कूल के पाठ्य पुस्तकों में भी बदलाव किया जाएगा। जहां संभव हो, शिक्षकों के पास भी तय पाठ्य पुस्तकों में अनेक विक्ल्प होंगे। उनके पास अब ऐसी पाठ्य पुस्तकों के अनेक सेट होंगे, जिसमें अपेक्षित राष्ट्रीय और स्थानीय सामग्री शामिल होगी। इसके चलते वे ऐसे तरीके से पढ़ा सके जो उनकी अपनी शिक्षण शास्त्रीय शैली और उनके छात्रों की जरूरत के मुताबिक हो।

प्रश्न : उच्च शिक्षा में अर्थात ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिले की प्रक्रिया क्या रहेगी। कैसे अधिक से अधिक छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान की जा सकेगी?

उत्तर : विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के लिए सिद्धांत समान होंगे। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) उच्चतर गुणवत्ता वाली सामान्य योग्यता परीक्षा, साथ ही विज्ञान मानविकी, भाषा, कला और व्यावसायिक विषयों में हर साल कम से कम दो बार विशिष्ट सामान्य विषय की परीक्षा लेना का कार्य करेगी। एनटीए उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट और ग्रेजुएट में दाखिले और फैलोशिफ के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का कार्य करेगी।

यह निर्णय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर छोड़ दिया जाएगा कि क्या वह अपने यहां प्रवेश के लिए एनटीए प्रवेश परीक्षा को अपनाएं या नहीं।

प्रश्न : तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति किस प्रकार से प्रभावी होगी?

उत्तर: समस्त मानवीय उद्यमों और प्रयासों पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव से तकनीकी शिक्षा और अन्य विषयों के बीच अंतर समाप्त होने की संभावना बढ़ती जा रही है। इस प्रकार तकनीकी शिक्षा भी बहु विषयक शिक्षण संस्थानों और कार्यक्रमों के भीतर पेश की जाएगी और अन्य विषयों के साथ गहराई से जोड़ने के अवसरों पर नए सिरे से जोड़ने पर ध्यान केंद्रीत करेगी। तकनीकी शिक्षा में डिग्री एवं डिप्लोमा कार्यक्रम शामिल हैं। उदाहरण के लिए इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, वास्तुकला, फार्मेसी, कैटरिंग आदि जो भारत के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न : नई शिक्षा नीति में अध्यापकों के लिए किस प्रकार के बदलाव किए जाएंगे?

उत्तर : नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को सुनिश्चित करने के साथ ही आध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता, भर्ती, पदस्थापन, सेवा शर्तों और शिक्षकों के अधिकारों की स्थिति का आकलन किया गया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा के साथ ही बीएड कार्यक्रम में विस्तार देकर बदलाव सुनिश्चित किया गया है। शिक्षकों की क्षमताओं को अधिकतम स्तर तक बढ़ाना इस नीति का महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित है।

शिक्षकों को पाठ्यक्रम और शिक्षण के उन पहलुओं को चयनित करने के लिए ज्यादा स्वायतता दी जाएगी। शिक्षकों को सामाजिक और भावनात्मक पक्षों को ध्यान में रखकर सर्वांगीण विकास की ²ष्टि से शिक्षण कार्य करना होगा। ऐसी विधि अपनाने पर सकारात्मक परिणाम आने की दशा में शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। नई नीति के तहत शिक्षकों को सतत व्यवसायिक विकास के अवसर मिलेंगे।

प्रश्न : आपने कहा था नई शिक्षा नीति ज्ञान, संस्कृति और भारतीयता पर आधारित होगी आपने इसमें ऐसे क्या प्रावधान किए हैं।

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