कोरोना महामारी और प्रतिबंधों के बीच महाराष्ट्र में गणेश उत्सव शुरू
कोरोना वायरस महामारी और लोगों के आवागमन पर जारी प्रतिबंधों के बीच मुंबई और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में शनिवार को दस दिवसीय गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत हुयी, हालांकि इस साल इस त्यौहार में पारंपरिक धूमधाम का अभाव है।
महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है और कहा है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा और इसके विसर्जन से पहले किसी प्रकार का जुलूस नहीं निकाला जाना चाहिये।
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि इस साल सार्वजनिक पंडालों में और घरों में आयोजित होने वाली इस पूजा में भगवान गणेश की प्रतिमा की उंचाई को सीमित कर दिया गया है। पंडालों के लिए प्रतिमा की ऊंचाई अधिकतम चार फुट और घरों पर स्थापना के लिए अधिकतम दो फुट होनी चाहिए।
इसके परिणाम स्वरूप घरों में, हाउसिंग सोसाइटियों में और सार्वजनिक पंडालों में गणपति की प्राण प्रतिष्ठा के लिये प्रतिमा खरीदने वाले लोगों की संख्या सीमित रही। महामारी के कारण इस साल इस उत्सव को लेकर उत्साह अपेक्षाकृत कम है।
उत्सव को सीमित किये जाने के कारण छोटे कारोबारों पर इसका असर हुआ है। इनमें फूल विक्रेता, मिठाई की दुकान, सजावट के सामान की दुकानें, आभूषणों की दुकानें और ट्रांसपोर्टर आदि शामिल हैं। इस महामारी ने कई अन्य लोगों को भी प्रभावित किया है जिनमें कलाकार भी शामिल हैं।
हालांकि, दादर जैसे कुछ लोकप्रिय बाजारों में पिछले दो दिन से बड़ी तादाद में लोग आये और उन्होंने सजावट और पूजा आदि के लिये जरूरी समानों की खरीदारी की।
मुंबई में लोकप्रिय सावर्जनिक गणेशोत्सव मंडल (लालबागचा राजा) ने इस साल महामारी को देखते हुये उत्सव को रद्द कर दिया है जबकि वडाला की जीएसवी सेवा समिति ने पूजा को अगले साल फरवरी में ‘मेघ शुद्ध चतुर्थी’ तक के लिये टाल दिया है। जीएसवी सेवा समिति को मुंबई की सबसे धनी समितियों में गिना जाता है।