माल्या के प्रत्यर्पण में देरी हो सकती है, राजनीतिक शरण की कर सकते हैं मांग : एजेंसी
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर भारत की ओर से प्रत्यन जारी हैं, मगर फिलहाल इसमें कुछ और देरी हो सकती है, क्योंकि अभी इस दिशा में एक और कानूनी मुद्दा सुलझाना बाकी है।
माल्या फिलहाल इंग्लैंड में जमानत पर बाहर है।
लंदन के सूत्रों ने कहा कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया को विफल करने के लिए माल्या की ओर से सभी संभव प्रयास किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “माल्या सभी कानूनी उपायों का फायदा उठाने वाले हैं। पहले आधिकारिक आदेश सामने आ जाए फिर भारतीय मिशन को सूचित करना होगा।”
अधिकारी ने कहा कि जांच एजेंसियां इस संभावना से अवगत हैं कि माल्या पूर्व राज्यसभा सदस्य होने के नाते ब्रिटेन में राजनीतिक शरण ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आशय की जानकारी है।
सीबीआई के एक अन्य सूत्र ने गुरुवार को कहा कि माल्या के प्रत्यर्पण में समय लगेगा, क्योंकि ब्रिटेन द्वारा इस संबंध में औपचारिक प्रत्यर्पण आदेश जारी नहीं किया गया है। इसके अलावा भगोड़े शराब व्यापारी के पास एक कानूनी विकल्प भी है।
ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने 14 मई को लंदन में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की अनुमति मांगने वाले माल्या की याचिका को खारिज कर दिया था।
माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में जांच कर रहे एक शीर्ष सीबीआई अधिकारी ने कहा, “इससे संबंधित अंतिम प्रत्यर्पण आदेश की प्रति जारी नहीं की गई है।”
सीबीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “विजय माल्या का प्रत्यर्पण अभी नहीं हो रहा है। एक बार ब्रिटेन सरकार की ओर से आवश्यक कदम उठाए जाने के बाद हम इस पर गौर करेंगे और सभी को सूचित करेंगे।”
सूत्रों ने आगे कहा कि वर्तमान में कोई भी सीबीआई जांच टीम ब्रिटेन में नहीं है।
इस मामले को संयुक्त जांच निदेशक मनोज शशिधर के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल संभाल रहा है।
भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत, ब्रिटेन के गृह कार्यालय को औपचारिक रूप से माल्या को 28 दिनों के भीतर भारत में प्रत्यर्पित किए जाने के अदालती आदेश को प्रमाणित करना होगा। तारीख 11 जून को समाप्त होनी है।
माल्या दो मार्च, 2016 को भारत से भाग जाने के बाद से ब्रिटेन में रह रहे हैं। माल्या 9,000 करोड़ रुपये के ऋण धोखाधड़ी के आरोपों का सामना कर रहे हैं।