256 दिनों से केवल नर्मदा जल ग्रहण कर सत्याग्रह कर रहे संत भैया जी की हालत नाजुक..
आखिर सरकार और प्रशासन क्यों कर रहे उच्च न्यायालय के आदेश कि अवहेलना...
✍️ विलोक पाठक
न्यूज़ इन्वेस्टिगेशन
जबलपुर / देश में न्यायपालिका सर्वोपरि है परंतु लोग जब उसकी नहीं सुन रहे तो फिर इस लोकतंत्र में भगवान ही मालिक है ..नर्मदा बचाव को लेकर माननीय हाईकोर्ट ने कुछ आदेश दिए थे .. इन्हीं आदेशों की अवहेलना और उसका परिपालन ना होने के कारण समर्थ सद्गुरु भैया जी सरकार ने नवरात्र के प्रथम दिवस 17 अक्टूबर 2020 से अन्य आहार फलाहार आदि का परित्याग कर केवल नर्मदा जल के बल पर सत्याग्रह शुरू किया । तब से लेकर आज तक लगभग 256 दिन हो गए हैं , यह प्रकृति प्रेमी संत केवल और केवल नर्मदा जल के दम पर सत्याग्रह कर रहे हैं । परंतु विगत दिवस उनकी हालत नाजुक हो गई जिन्हें आनन-फानन में नेशनल हॉस्पिटल जबलपुर में भर्ती कराया गया । जहां पर भी उन्होंने अपनी जिद कायम रखी और डॉक्टरों के कहे अनुसार भी कोई आहार या फलाहार नहीं लिया केवल नर्मदा जल ले रहे हैं । उनकी देखरेख करने वाले डॉक्टर ने बताया इन के शरीर में काफी दिनों से अन्न या फलाहार ना जाने के कारण काफी कमजोरी आ गई है ,जिससे इनकी हालत गिर रही है ।
◆ ये है मामला…..
उल्लेखनीय है कि नर्मदा के बचाव को लेकर नर्मदा मिशन द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय ने 9 मई 2019 एवं जुलाई 2019 में स्पष्ट आदेश दिए थे की नर्मदा नदी के उच्चतम बाढ़ स्तर से 300 मीटर में हो रहे अवैध निर्माण अवैध अतिक्रमण एवं उत्खनन तथा नर्मदा जल में मिल रहे गंदे नालों विषैले रसायनों से युक्त गंदे जल को शीघ्र रोकने हेतु प्रदेश सरकार कदम उठाएं.. परंतु हाईकोर्ट के उक्त आदेशों के बावजूद भी शासन प्रशासन एवं सरकार द्वारा लगातार इनकी अवहेलना की जाती रही है..
◆ विज्ञान के लिए सोचनीय….
विज्ञान भी अपने आप में आश्चर्यचकित है कि केवल मां नर्मदा के जल के दम पर 256 दिन से यह संत कैसे जिंदा है… वहीं संत के सूत्रों के हवाले से खबर है की उन्होंने डॉक्टर को खुला चैलेंज किया है कि उनके शरीर में जांच कर स्वयं देख ले कि कितने दिनों से उन्होंने अन्न व् फलाहार नहीं किया यह केवल और केवल मां नर्मदा का चमत्कार है……क्या नर्मदा जल में इतनी अद्भुत क्षमता है जो मानव जीवन के लिए बहुउपयोगी है ।
◆इन बिंदुओं पर है सन्त की मांग….
नर्मदा मिशन के माध्यम से सन्त भैया जी सरकार की मांग केवल कुछ बिंदुओं को लेकर है । इनमें प्रमुख बिंदु जैसे मां नर्मदा तथा गोवंश को बचाने की निर्णायक मुहिम छेडी जाए ….एवं ….मां नर्मदा में मिल रहे गंदे नालों विषैले रसायनों को अविलंब बंद किया जाए.. तथा… मां नर्मदा को जीवंत इकाई का दर्जा मिले… इसके साथ ही मां नर्मदा जल संग्रहण हरित क्षेत्र जिसे राइपेरीयन जोन भी कहते हैं को पूर्णतया संरक्षित किया जाए…. इसके साथ ही मां नर्मदा तथा गौ माता के लिए समग्र नीति कानून बनवाने एवं योजनाओं नीति कानून को नर्मदा पथ में क्रियान्वित करने के लिए मुहिम छेडी जाए …..इन जनहित के मुद्दों को लेकर ही नर्मदा गउ सत्याग्रह चल रहा है..
◆ संतों कि चुप्पी आश्चर्यजनक….
एक बड़े आश्चर्य का विषय है कि जब नर्मदा कुंभ शहर में आयोजित हुआ था तो सैकड़ों ऐसे साधु सन्यासी अपना नाम चमकाने के लिए उस नर्मदा कुंभ में देखे गए थे …परंतु उन्हीं नर्मदा के शुद्धिकरण और उनको उत्खनन से बचाने के लिए एक संत जब सत्याग्रह कर रहे हैं, तो संत समाज की चुप्पी अपने आप में आश्चर्य का विषय है । लग्जरी वातावरण में रहने वाले और नेताओं को अपना करीबी बताने वाले कथित संत महात्मा कब जागेंगे…. कहां गए वो हेलीकॉप्टर से नर्मदा का सर्वे करने वाले कंप्यूटर बाबा और मां नर्मदा के नाम पर नाम चमकाने वाले अन्य संत आखिर मां नर्मदा को लेकर दिए गए उच्च न्यायालय के आदेश पर सब के सब चुप क्यों हैं…. केवल एक संत अपना जीवन दांव पर लगाकर सिर्फ नर्मदा जल से सत्याग्रह कर नर्मदा के बचाव हेतु कमर कसे है …
◆ क्यों चुप हैं जनप्रतिनिधि …
मां नर्मदा के नाम पर राजनीति करने वाले तमाम स्थानीय जनप्रतिनिधियों की आंखें हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बंद है । आखिर क्या कारण है कि ये हाईकोर्ट के आदेश को संज्ञान में नही ले रहैै या यूं कहें कि जानबूझकर इस मामले में कुछ बोलना नहीं चाह रहे । लिहाजा कुछ भी हो परन्तु उनकी चुप्पी रहस्यमय बनी हुुई है । हालांकि उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों को परिपालन में लाना सरकार एवं शासन प्रशासन की जवाबदारी है, परंतु उस जवाबदारी से ना जाने क्यों मुंह मोड़ा जा रहा है… कहीं इसके पीछे कोई गम्भीर कारण तो नहीं … एक बात समझ में नहीं आती कि आखिर उच्च न्यायालय के आदेशों को फलीभूत कराने की बजाय जिम्मेदार उसकी अवहेलना करना क्यों पसंद कर रहे है ..जबकि सूबे के मुखिया की बात करें तो वे स्वयं नर्मदा भक्त हैं , उन्होंने मां नर्मदा कलश यात्रा निकालने से लेकर मां नर्मदा के उत्थान के लिए उन्होंने अनेको कार्य किए व् योजनायें चलायीं .. परंतु ना जाने वह कौन लोग हैं जो उन्हें व सरकार को उच्च न्यायालय के आदेशों को परिपालन कराने से अँधेरे में रख रहे हैं ..क्या सरकार से भी वजनदार लोग इस तंत्र में हैं ..
शहर में कद्दावर नेताओं की बात करें तो चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस सभी में बड़े-बड़े नर्मदा भक्त है परंतु मां नर्मदा से जुड़े हुए इस उच्च न्यायालय के आदेश के मामले में सब चुप्पी साधे हुए हैं । पूर्व में कांग्रेस की सरकार में जहां नर्मदा कुंभ का आयोजन किया गया था, वही भाजपा सरकार ने नर्मदा विकास के नाम पर कई कार्यक्रम व योजनायें चला रखी हैं.. आखिर क्या कारन है कि एक संत को न्यायालय के आदेश के परिपालन कराने हेतु अपना जीवन दांव पर लगाना पड़ रहा है ।
बहरहाल जो भी हो परंतु सरकार से यही मांग है कि यदि उच्च न्यायालय की नहीं सुन रहे तो कम से कम इस प्रकृति प्रेमी संत की तो सुन लो.. यदि संत की सेहत गिरती है तो इसके लिए शायद मां नर्मदा किसी को क्षमा ना कर पाए …